अतुल यादव, विशेष संवाददाता 



प्रजातंत्र करता रहा, नित नित नए प्रयोग।
जिसने चाहा कर लिया, अपने हित उपयोग।

लेख/व्यंग: भारत कहने को तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है लेकिन सिर्फ कहने के लिए जैसे हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ अरे रुकिए ये हाथी दांत की कहावत मैने नही कही बल्कि इसका प्रयोग परंपरा के रूप में पहले से ही प्रयोग होता आ रहा है कहावतों के रूप में ,जैसे हाथी के दांत दिखाने के अलग और खाने के अलग ठीक उसी प्रकार हमारा भारत देश का लोकतंत्र सिर्फ संविधान पे टिका है कहने के लिए लेकिन आजकल हमारा देश संविधान से नही बल्कि देवी देवताओं के बदौलत चलने लगा है या यूं कहे तो देवी देवता ही दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को चला रहे है क्योंकि भगवान,धर्म का नाम लेकर यहां सरकार बन जाती है तो कही भगवान,धर्म के नाम पे सरकार गिर जाती है तो भैया लोकतंत्र को कौन चला रहा संविधान या अरे नही पूर्णतया भगवान ही चला रहे है ।

यहां प्रजातंत्र पर रोज नए नए प्रयोग हो रहे है कभी धर्म का